मैं घर से जरा दूर हूँ,
मगर माँ तो दिल में रहती है।
खुद बेशक हो परेशान,
पर मुझे अपना ख्याल रखने को कहती है।
खुद भूखी भी सो जाती है,
मगर हमारा पेट भरा रखती है।
कभी जब लाइट चली जाती है रात में,
खुद ही अपने चुन्नी के पल्ले से हवा करती है।
कितना भी खाते रहो रोज,
मेरा बेटा कमजोर हो गया, बस यही कहती है।
कितनी भी दिक्कत हो जाए उनको,
पर चेहरे पर वही मुस्कान रहती है।
मान लेना चाइए आँख बंध करके,
माँ जो कहती है।।
हाँ मैं जरा दूर हूँ घर से, मगर माँ दिल में रहती है।।


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *